लगे यूँ जैसे कि उड़ सकती हूँ
जैसे ये महकी सी हवा पंख
बनके जुड़ सी गयी है मुझमें कहीं
अब तो क़दमों को थामकर, गगन
की सैर पे जाना है, कि बहुत चल
लिए अब, आसमान अगला ठिकाना है .
ये वो कोना है जहां मैं अपने मन की ढेर सारी बातें लिखती हूँ. यहाँ किस्से हैं, कहानियाँ हैं, कवितायें भी हैं, कुछ आपबीती है, कुछ मन गढ़ंत भी है.