Sunday, June 10, 2012

तन्हाई और भीड़




भीड़ के संग  चलती हूँ,
साथी तो हर तरफ हैं,
पर फिर भी रहती  अकेली
सी हूँ ,साथ निभाती है बस
यह मेरी तन्हाई, अब तो
लगने लगा है कि तन्हाई ही
है  मेरी  सच्ची सहेली।