ख्वाहिशें हैं ऐसी कि ,
चाँद हथेली पर सजा लूँ,
बहती हवा की चुनर बना
लिपट जाऊं उसी में,
सिमट जाऊं उसी में।
फूलों से रंग चुरा के
अपने घरौंदे पे बिखेर दूँ ,
परियों जैसे पंख लगा के,
सैर करूँ मैं गगन की।
ख्वाहिशें हैं ऐसी कि,
उदास चेहरों को मुस्कानों की
सौगातें बाटूँ , सूनी सूनी
आखों में तारों से मांगकर,
चमक के खजाने भर दूँ।
डूबती हुयी कश्तियों को
साहिलों के आगोश दूँ,
पोटली भर जादू मिले मुझे,
तो दुनिया हसीँ बना दूँ