Tuesday, July 31, 2012






लहर वक़्त की बह रही है, 
संग उसके मैं भी बह रही हूँ 
पर मन के किसी कोने में 
वापिस लौटना चाह रही हूँ 
वापिस वहीँ जहाँ वो बगीचा है 
जहाँ नन्हे मन का नन्हा परीलोक था 
उस जहाँ की मैं मल्लिका थी 
जब जादू से हवा बहती थी 
तारे टिमटिमाते मेरे इशारों पे 
और आसमान छूती मैं झूले पे
हाय बचपन था कितना सुहाना 
ज़िन्दगी है क्या ये अब मैंने जाना 
ज़िन्दगी है क्या ये अब मैंने जाना .

Monday, July 30, 2012



ये टूटकर  बिखरा फानूस नहीं,
ये तो ख्वाब हैं उस दीवानी के,
जिनको हुकूमत ने पायों तले  रौंदा.

उसका जनाज़ा उठा तो गुमनामी में,
उसकी मय्यत पे न आंसू बहे थे,
उसकी ख़ता थी तो ये कि ,

एक  गरीब को, चाँद से मुहब्बत थी,
एक कनीज़ ने, एक शहजादे  की
चाहत की थी

# मुग़ल -ए - आज़म 
http://themarvelouslife.files.wordpress.com/2010/04/my_dying_rose.jpg

हज़ार हसरतें हैं गुमनाम सी,
रोज़ हलक में दम तोड़ने वाली.
उनकी कब्रों पर, यार हम
सजदे पेश करें तो कैसे।

Friday, July 27, 2012

आहटें




ये आहटें कुछ कहती हैं 
पर न जाने क्यूँ सुनना 
चाहती ही नहीं मैं 
क्या संदेसा देना है 
उनको, नहीं समझती मैं 

चली आती हैं वो फिर 
भी, जैसे गाने में बजता 
मद्धम सा संगीत हो,
जैसे मन के पटल पर 
रंगों की हलकी सी छींट हो,
पर उसे मिटा नहीं सकती मैं.

जुगनुओं सी इनकी भाषा है ,
आते- जाते, पल भर को,
अंधेरों में, जलती-बुझती ,
इशारे तो कुछ करती हैं,
इनकी पहेलियाँ मगर, 
सुलझाने को ठहरती नहीं मैं.