Sunday, April 20, 2014

अभिलाषा



अधीर नयनों की तृष्णा
काँपते अधरों की सिसकियाँ
हलक तक आके रुकी, फँसी
एक अभिलाषा मेरी, देखो
कैसे धीरे धीरे दम तोड़ रही है.