Sunday, February 22, 2015

दस्तक



साँसों की लय में  पुकारती हूँ
आते जाते चेहरों में तलाशती हूँ
कभी कहानियाँ बुनती हूँ
कभी सपने सजाती हूँ
हर गुज़रते पल पर तुम्हारे पैरों
के निशाँ की छाप खोजती हूँ
हर अजनबी आहट पे
धड़कन तेज़ होती है
टकटकी लगाये बैठी हूँ ,
दिल के दरवाज़े पे
होती है दस्तक  तो सोचती हूँ
कि कहीं तुम तो नहीं आये?



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