Sunday, November 27, 2011

यूँ ही


आते जाते राहों में,
यूँ ही मिल गया था कोई,
एक मुस्कान से बस,
सीने से दिल ले गया था कोई.
बस एक झलक दिखा हमें,
उल्फ़त सिखा गया था कोई.
आते जाते राहों में,
यूँ ही मिल गया था कोई.

उनके दीदार को तरसते नैन हमारे,
नींद- ओ- होश ग़ुम हुए हमारे.
हाय ये इश्क है कैसी सज़ा,
यही है दर्द, यही है दवा.
कोई इसे कहे आग का दरिया, 
भगवान् देखे कोई इस में .
आते जाते राहों में,
यूँ ही मिल गया था कोई.

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